वर्ण विचार
साधारणतः लोग ध्वनि , अक्षर और वर्ण का एक ही अर्थ ले लेते हैं । व्याकरण के अनुसार इनमे अर्थ भेद हैं ।
ध्वनि :- यह भाषा का लघुतम श्रव्य – खण्ड है । जैसे अ, ई । पर यह उच्चार्य – खण्ड हो ही यह आवश्यक नही । स्वर रहित व्यंजन प्रायः उच्चारित नही होते । श्रवणीयता ध्वनि का साधारण धर्म हैं ।
अक्षर :- यह भाषा का लघुतम उच्चार्य – खण्ड है । सभी स्वर , सभी स्वर-युक्त व्यंजन अक्षर हैं । जिस ध्वनि या ध्वनि-समूह का उच्चारण एक श्वासाघात में हो उसे अक्षर कहते हैं । जैसे : मा, मो, मू , अ आ । सभी स्वर ध्वनि और अक्षर दोनो हैं । सभी व्यंजन स्वतंत्र रूप से ध्वनि हैं , अक्षर नही क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से उच्चार्य नही हैं । व्यंजन अक्षर तब बनता हैं जब उसके साथ स्वर जुड़ा रहता हैं । अक्षर में एक से अधिक ध्वनियाँ हो सकती हैं । एक ध्वनि का अक्षर केवल स्वर हो सकता हैं , व्यंजन नही ।
अ, आ, ई – ध्वनि और अक्षर दोनो हैं ।
क्, प्, ट् – ध्वनि हैं । क, का, कि, की – अक्षर हैं ।
उच्चरणीयता अक्षर का साधरण धर्म है ।
वर्ण :- यह लिपि का लघुतम खण्ड है । यह लिपि का दृश्य-रूप है । वर्ण का शब्दिक अर्थ हैं ‘ रंग ‘ । रेखण ( लेखन ) के लिये रंग की आवश्यकता होती है । रंग से ही आड़ी, तिरछी, वर्तुल रेखाएँ खींची जाती है और ध्वनियों को दृश्य-रूप दिया जाता हैं । ध्वनियाँ रंग से रेखित ( लिखित ) होने पर वर्ण रूप ग्रहण करती हैं । श्रव्य दृश्य बन जाता है । ध्वनि का लिखित रूप वर्ण एवम् वर्ण का उच्चारित रूप ध्वनि कहलाता हैं । दर्शनीयता वर्ण का साधारण धर्म है यह चाक्षुष (आँखों से दिखने वाला ) है । वर्ण का सम्बन्ध आँख से है, ध्वनि का कान से ।
जिह्वा, तालु, कण्ठ, आदि के संयोग से उत्पन्न उस मूल ध्वनि को वर्ण कहते है जिसका खण्ड न हो सके यथा – अ, इ, उ, क्, च्, ट्, प् आदि ।
जो क्षर ( नाश होने वाला ) न हो , उसे अक्षर कहते हैं । ‘ रामायण ‘ शब्द मे चार अक्षर – ( रा मा य ण ) हैं । पर वर्णो की संख्या आठ है – र् + आ + म् + आ + य् + अ + ण् + अ ।
वर्णमाला :- किसी भाषा में प्रयोग में आने वाली मूल ध्वनियों या वर्णों के समूह को उस भाषा की वर्णमाला कहते हैं । हिन्दी वर्णमाला मे कुल 44 वर्ण हैं । हिन्दी की वर्णमाला जिस लिपि मे लिखी जाती हैं उसे ‘ देवनागरी ‘ कहते हैं ।
भाषा का आरम्भ ध्वनि से होता है । ध्वनि के अभाव मे भाषा की कल्पना नहीं की जा सकती । भाषा विज्ञान का विषय ध्वन्यात्मक भाषा ही हैं ।
“ भाषा – ध्वनि भाषा में प्रयुक्त ध्वनि की वह लघुतम इकाई है, जिसका उच्चारण और श्रोतव्ता की दृष्टि से स्वतंत्र व्यक्तित्व हो “ – डा0 भोलानाथ तिवारी ।
ध्वनि के तीन पक्ष हैं – 1. उत्पादन, 2. संवहन, 3. ग्रहण । इनमे उत्पादन और ग्रहण का सम्बन्ध शरीर से तथा संवहन का वायु तरंगों से हैं । ध्वनि के उत्पादन के लिये वक्ता, ग्रहण के लिये श्रोता और संवहन के लिये कोई माध्यम ( सामान्य स्थिति मे वायु ), तीनो का होना आवश्यक हैं, तीनो मे से किसी के भी न होने से ध्वनि निरर्थक हो जाएगी । ‘अ’, ‘आ’, ‘क’, ‘ख’ आदि जब वागिन्द्रिय द्वारा व्यक्त हो तब ध्वनि और जब लिखे जाते हैं तो वर्ण कहलाते हैं । वर्ण लिखित ध्वनि चिह्न हैं । ध्वनि बोलने और सुनने मे आती है वर्ण लिखने , पढ़ने और देखने मे आता हैं । भाषा से सम्बन्धित ध्वनियाँ लिखित रूप मे वर्ण है ।
महत्त्वपूर्ण जानकारी । ध्वनि , अक्षर व वर्ण के अंतर को बहुत ही सरल ढंग से समझाया गया है । सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteएक कमी हमे मसूस हुई है दन्त ध्वनि के स्वर से संबंधित कोई जानकारी नही है
ReplyDeleteजब दन्त ध्वनि है तो उसका स्वर
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Deleteएक कमी हमे मसूस हुई है दन्त ध्वनि के स्वर से संबंधित कोई जानकारी नही है
ReplyDeleteजब दन्त ध्वनि है तो उसके स्वर की जानकारी कहीं क्यो नही है
सम्बंधित जानकारी के लिये वर्णविचार भाग ( चार ) देखें !
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी धन्यवाद
ReplyDeletebahut satik, saral bhasha me
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ReplyDeleteBahut acha sir🙏
ReplyDeleteBahut accha lika inke sath kuch questions bhi dale
ReplyDeleteबहुत ही रोचक ढंग से स्पष्ट किया गया है स्वर, वर्ण और अक्षर के भेद को। बंटी राजा
ReplyDeleteअर्द्ध (र् ) का प्रयोग करने पर किन कारणों से ये (प्र ),( ट्र) और ( र्र ) का रूप ले लेता है???
ReplyDeleteJB half consonant hota h TB r niche lgta h like PRA also tra
Deleteyou also understand by its hinglish
And when we use half r then ye consonant ke upr uagata hlike parvat here letter r ke bat a nhi aya
I hope you understand
रामायण ‘ शब्द मे चार अक्षर – ( रा मा य ण ) हैं । पर वर्णो की संख्या आठ है – र् + आ + म् + आ + य् + अ + ण् + अ ।
ReplyDeleteसर रामायण में अक्षर 8 और वर्ण चार होने चाहिये । 🤔
Sir aapka youtube par video nahi hai kya hindi vyakaran ke
ReplyDeleteTq sir
Deleteबिल्कुल सटीक जानकारी, धन्यवाद सर
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