Sunday, October 16, 2011

हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग ( दो )



वर्णों का वर्गीकरण

वर्णों के दो मुख्य भेद हैं – (1) स्वर और (2) व्यंजन ।

स्वर : उन वर्णों को कहते हैं, जिनका उच्चारण स्वतंत्रता से होता है और जो व्यंजनों के उच्चारण में सहायक होते हैं । अ इ उ आदि स्वर हैं । हिन्दी मे स्वरों की संख्या ग्यारह है – अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ ।

व्यंजन : वे वर्ण हैं, जिनके उच्चारण में स्वरों की सहायता आवश्यक होती है । स्वरों की सहायता लिये बिना व्यंजनों का उच्चारण सम्भव नही है । इनकी संख्या 33 हैं :

Sunday, October 9, 2011

हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग ( एक )



वर्ण विचार

        साधारणतः लोग ध्वनि , अक्षर और वर्ण का एक ही अर्थ ले लेते हैं । व्याकरण के अनुसार इनमे अर्थ भेद हैं ।

ध्वनि :- यह भाषा का लघुतम श्रव्य – खण्ड है । जैसे अ, ई । पर यह उच्चार्य – खण्ड हो ही यह आवश्यक नही । स्वर रहित व्यंजन प्रायः उच्चारित नही होते । श्रवणीयता ध्वनि का साधारण धर्म हैं ।

अक्षर :- यह भाषा का लघुतम उच्चार्य – खण्ड है । सभी स्वर , सभी स्वर-युक्त व्यंजन अक्षर हैं । जिस ध्वनि या ध्वनि-समूह का उच्चारण एक श्वासाघात में हो उसे अक्षर कहते हैं । जैसे : मा, मो, मू , अ आ । सभी स्वर ध्वनि और अक्षर दोनो हैं । सभी व्यंजन स्वतंत्र रूप से ध्वनि हैं , अक्षर नही क्योंकि वे स्वतंत्र रूप से उच्चार्य नही हैं । व्यंजन अक्षर तब बनता हैं जब उसके साथ स्वर जुड़ा रहता हैं । अक्षर में एक से अधिक ध्वनियाँ हो सकती हैं । एक ध्वनि का अक्षर केवल स्वर हो सकता हैं , व्यंजन नही ।