Saturday, October 20, 2012

फिर भी !


           फिर भी !
  
परिवर्तन  संसार  का  नियम  हैं , और  जड़त्व  भी ,
नये निर्माण को टूटती है जड़ता , तो होता है कष्ट भी ।
कोई नही जानता टूटते वक्त , विनाश है  या सृजन भी ,
कष्ट से गुरजते हुए आगे , मिले कहीं , कोई खुशी भी ॥