Friday, April 5, 2013

हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग ( सात )


सुरलहर अथवा अनुतान
अनुतान या सुरलहर सुरों के उतार – चढ़ाव या आरोह – अवरोह का क्रम हैं जो एकाधिक ध्वनियों की भाषिक इकाई के उच्चारण में सुनाई पड़ता है । सुर , तंत्रियों के कम्पन के कारण उत्पन्न एक ध्वनि गुण हैं , जो स्वर – तंत्रियों के प्रति सेकेण्ड कम्पनावृति पर निर्भर करता हैं ।  सुर किसी एक ध्वनि का होता हैं । किंतु जब हम एक से अधिक ध्वनियों की कोई इकाई ( शब्द , वाक्यांश , वाक्य ) का उच्चारण करते हैं तो हर ध्वनि का सुर प्रायः अलग – अलग होता है , इस प्रकार सुरों के उतार – चढ़ाव की लहर बनती हैं , जिसे सुरलहर या अनुतान कहते हैं ।