Saturday, September 14, 2013

हमारी राजभाषा हिन्दी भाग 3

        हमारी राजभाषा हिन्दी भाग 3

    अगर भारत के इतिहास पर नजर दौड़ाएँ तो हमें दिखता है कि जिन वस्तुओं , परम्पराओं , भाषाओं और ऐसी न जाने कितनी हीं चीजें होंगी जिन्हे राजकीय संरक्षण मिलता रहा हैं उन्होने अपने संरक्षण के समय काफी विकास किया । कुछ ऐसी भी चीजें थी जिन्होने उपेक्षा के वावजूद भी अपनी उपस्थिति मजबूती से बनाए रख्खी । पर आजादी के इतने वर्षों का अनुभव हमें कुछ और हीं दृश्य दिखाता हैं । ऐसा महशूश होता हैं कि जिन्हे भी राष्ट्रीय होने का गौरव दिया गया वो विलुप्ति के कगार पर पहुचते जा रहे हैं या पहुँच गये हैं ।

राज भाषा में हुआ हैं .........

राज भाषा   में   हुआ  हैं ,  अजब  सा  घालमेल |
हिंदी अंग्रेजी   की  खिचड़ी में, निपट रहा हैं देश ||

दोगली   सी   नीतियों   के ,  बहुरंगी   हैं   अर्थ |
लोग  बाग  हैं त्रस्त  लड़ रहे , लेकर  अपने  अस्त्र ||

आत्मा   हैं  हिंदी   पर ,  पहने   अंग्रेजी   वस्त्र |
स्वाद   हाथ   का   भूल  रहे , काँटे छूरी के भक्त ||

Sunday, June 9, 2013

समय समझाता हैं ...


      समय समझाता हैं ... 

कहते हैं समय हर घाव जो वह देता  भर देता हैं ।
पर भरते समय रिश्तों के मायने समझा जाता हैं ॥  
परदे उठते  मुखौटे  सरकते हैं  अस्ल चेहरों  से ।  
धूल आईने से  गर्द  कपड़ों से  झाड़  जाता  हैं ॥  
ये समय  भी  न जाने क्या – क्या सिखाता हैं ॥ 1 ॥

Friday, April 5, 2013

हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग ( सात )


सुरलहर अथवा अनुतान
अनुतान या सुरलहर सुरों के उतार – चढ़ाव या आरोह – अवरोह का क्रम हैं जो एकाधिक ध्वनियों की भाषिक इकाई के उच्चारण में सुनाई पड़ता है । सुर , तंत्रियों के कम्पन के कारण उत्पन्न एक ध्वनि गुण हैं , जो स्वर – तंत्रियों के प्रति सेकेण्ड कम्पनावृति पर निर्भर करता हैं ।  सुर किसी एक ध्वनि का होता हैं । किंतु जब हम एक से अधिक ध्वनियों की कोई इकाई ( शब्द , वाक्यांश , वाक्य ) का उच्चारण करते हैं तो हर ध्वनि का सुर प्रायः अलग – अलग होता है , इस प्रकार सुरों के उतार – चढ़ाव की लहर बनती हैं , जिसे सुरलहर या अनुतान कहते हैं ।

Sunday, March 31, 2013

बुरा न मानो होली हैं !


बुरा न मानो होली हैं !

भले मिले ना लोग सब ,
                 यार दोस्त ना रिश्तेदार ।
भले ना कूके कोयल अब ,
                 ना  बहे  रंग रस धार ।
देवर भाभी जीजा साली की ,
                 चुहल भले ही गई हो खो ।
मन मे बस काला रंग लिये ,
                 तन अपना कोरा संग लिये ।
टीवी एसएमएस फेसबुक पर
                 जम कर होली खेली है ।
होली है भई होली है ,
                 बुरा न मानो होली हैं ।

Tuesday, January 1, 2013

नवल वर्ष



नवल वर्ष

नवल वर्ष नव नव अभिनन्दन ।
नवलाकाश   नवल   स्पन्दन ॥
नवल  हर्ष  नव  नव  उत्कर्ष ।
नवल  ज्योति  मुखरित सहर्ष ॥