हमारी राजभाषा हिन्दी
भाग 5
भारत एक बहुआयामी, बहुभाषी , धार्मिक , भौगौलिक , संस्कारों, परम्पराओं और जैव बिबिधता से समृद्ध देश हैं । इस देश की सांस्कृतिक और साझी
विरासत ने हरेक विपरीत और कठिन परिस्थितियों में भी इसे भारत के रूप में बनाए रक्खा
हैं ।
जहाँ तक भाषा का प्रश्न
हैं पूरे भारत में इतनी भाषाएँ उपभाषाएँ और बोलियाँ और उनकी स्वतंत्र लिपियाँ हैं कि
सम्भवत: किसी एक जगह उनका सही रिकार्ड भी मिलना मात्र सन्योग ही होगा । यहाँ तो भाषा
कि स्थिति और चलन ऐसी हैं कि जाति उपजाति धर्म स्त्री पुरूष गाँव शहर में भी एक जैसी
नही बोली जाती । ऐसा सिर्फ हिंदी के साथ हीं हैं ऐसा नही ये स्थिति भारत की प्रत्येक
भाषा के साथ हैं इसी कारण तो एक बहुत प्रसिद्ध
कहावत हैं कि “ पाँच कोस पर वाणी बदले दस कोस
पर पानी “ । भाषा पर जब भी बात करे इस तथ्य से मुँह मोड़ना भारत को नही समझने जैसा हैं
।