समय समझाता हैं ...
कहते हैं समय हर घाव
जो वह देता भर देता हैं ।
पर भरते समय रिश्तों
के मायने समझा जाता हैं ॥
परदे उठते मुखौटे सरकते हैं अस्ल चेहरों से ।
धूल आईने से गर्द कपड़ों
से झाड़ जाता हैं
॥
ये समय भी न जाने
क्या – क्या सिखाता हैं ॥ 1 ॥