Thursday, January 19, 2012

हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग (चार )


हिन्दी के व्यंजन वर्ण
हिन्दी व्यंजनो की संख्या 33 है । इन्हे निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है : 
1.)    स्पर्श व्यंजन या वर्गीय : पाँच – पाँच व्यंजनों का एक – एक वर्ग है । वर्गों की संख्या पाँच है । इस तरह कण्ठ , तालु , मुर्द्धा , दाँत  और ओठ से बोले जाने के कारण इन्हें स्पर्श व्यंजन कहा जाता है । इन्हे वर्गीय व्यंजन भी कहा जाता है । ‘क्’ से ‘म्’ तक के वर्णों को स्पर्श व्यंजन कहते हैं ।

                 1  2  3  4  5
क)    कवर्ग – क, ख, ग, घ, ङ, कण्ठ-स्थान से उच्चारण  
ख)   चवर्ग – च, छ, ज, झ, ञ, तालु-स्थान से उच्चारण 
ग)     टवर्ग – ट, ठ, ड, ढ, ण, मूर्द्धा-स्थान से उच्चारण 
घ)     तवर्ग – त, थ, द, ध, न, दन्त-स्थान से उच्चारण 
ङ)     पवर्ग – प, फ, ब, भ, म, ओष्ठ-स्थान से उच्चारण                    
2.)    अन्तस्थ : य, र, ल, व, को अन्तस्थ कहते है ; क्योँकि इनका उच्चारण व्यंजन तथा स्वरों का मध्यवर्ती-सा लगता है । स्वर व्यंजनों के ये ‘ अन्तःस्थिति ‘ से जान पड़ते हैं । इनका उच्चारण जीभ , तालु , दाँत , और ओठों के परस्पर सटाने से होता है । इन चारों वर्णों को ‘अर्द्ध स्वर’ भी कहा जाता है ।
3.)    ऊष्म : श, ष, स, ह, इन चारो वर्णों को ऊष्म कहते हैं । इनका उच्चारण रगड़ या घर्षण से उत्पन्न ऊष्म वायु से होता है । 

अल्पप्राण और महाप्राण 

हवा को संस्कृत में प्राण कहते हैं । इसी आधार पर कम हवा से उच्चरित ध्वनि ‘अल्पप्राण’ और अधिक हवा से उतपन्न ध्वनि ‘महाप्राण’ कही जाती है । 
1.       अल्पप्राण – प्रत्येक वर्ग का पहला , तीसरा और पाँचवाँ वर्ण अल्पप्राण है । सभी स्वर अल्पप्राण हैं ।
2.       महाप्राण – प्रत्येक वर्ग का दूसरा और चौथा वर्ण महाप्राण है । इसमें विसर्ग की तरह ‘ह’ की ध्वनि सुनाई पड़ती है । सभी उष्म वर्ण महाप्राण हैं । 

     अल्पप्राण           महाप्राण          अनुनासिक अल्पप्राण
क, च, ट, त, प ।    ख, छ, ठ, थ, फ ।     ङ, ञ, ण, न, म ।
ग, ज, ड, द, ब, ।    घ, झ, ढ, ध, भ ।

घोष और अघोष वर्ण 
1.       घोष वर्ण – जिन वर्णों के उच्चारण में केवल नाद का उपयोग होता है , उन्हे घोष वर्ण कहते हैं । स्पर्श वर्णों में प्रत्येक वर्ग का तीसरा , चौथा और पाँचवाँ वर्ण , सभी स्वर वर्ण और य, र, ल, व, ह घोष वर्ण हैं ।
2.       अघोष वर्ण – जिन वर्णों के उच्चारण में नाद की जगह केवल श्वाँस का उपयोग होता हैं , वे अघोष वर्ण कहलाते हैं । स्पर्श वर्णों में प्रत्येक वर्ग का पहला , दूसरा और श, ष, स अघोष वर्ण हैं ।
   
   अनुनासिक वर्ण 

   स्पर्श वर्णों में प्रत्येक वर्ग का अंतिम यानी पाँचवाँ वर्ण नासिका से बोला जाता है । ये अनुनासिक कहलाते हैं -  ङ, ञ, ण, न, म ।

   हल् – 
   व्यंजनों के नीचे जब एक तिरछी रेखा () लगाई जाती है , तब उसे हल् या हलंत् कहते हैं । जिस व्यंजन मे यह लगाया जाता है , उसमे स्वर का अभाव ज्ञात होता है । जैसे – ‘क’ एक व्यंजन है , इसमे ‘अ’ स्वर की ध्वनि छिपी हुई है , स्वतंत्र रूप से इस प्रकार लिखा जायेगा – ‘क्’ । 
   हिन्दी के नये वर्ण 
   हिन्दी में पाँच नये वर्णों का प्रयोग होता है – क्ष, त्र, ज्ञ, ड़, ढ़ ।  
   तीन सन्युक्त वर्ण हैं – क् + ष = क्ष
                   त् + र = त्र
                   ज् + ञ = ज्ञ
   ड, ढ के नीचे नुक्ता या बिन्दी लगाकर ड़ , ढ़ बनाये गये हैं ।  

 

21 comments:

  1. बहुत बहुत ही शानदार

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  2. ग ज द ब को व्यजंन कहते है

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  3. v easy language

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  4. It is very helpful ...... But some words are very difficult to understand like in sgosh and agosh ** NAD** I can't understand it.

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  5. थ च फ कौन सी ध्वनि है स्वनिम रूपम

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  6. Sir aise hi aur jankariya dete rhiyega

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  7. I am very happy to solve my problem with this post

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  8. बहुत सुंदर तरीका






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  9. बहुत ही अच्छा विस्तार है...


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  10. क्ष अघोष है त्र
    या घोष है

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