उनीदी भोर
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माथे पर उगता सा सूरज ,
कान्धे पर है रात विभोर ।
सपनों की प्राची से जगती ,
कैसी सुघड़ उनीदी भोर ॥
".. हमारे दिल से आपके दिल तक ,/ बात निकली है तो जायेगी दूर तक ,/ ये 'किरण'जो चली है यहाँ से वहाँ तक ,/ रौशनी कर देगी वहाँ , पहुँचेगी जहाँ तक । " ----------- अश्विनी कुमार तिवारी