".. हमारे दिल से आपके दिल तक ,/
बात निकली है तो जायेगी दूर तक ,/
ये 'किरण'जो चली है यहाँ से वहाँ तक ,/
रौशनी कर देगी वहाँ , पहुँचेगी जहाँ तक । "
----------- अश्विनी कुमार तिवारी
महारानी कैकेयी
के मुख पर भावों का विचलन स्पष्टतया दृष्टिगोचर था । कुछ भी निश्चित नही कर पा रही
हों जैसे । विचारों का क्रम शरीर में एक उत्तेजना का संचार कर रहा था ।