Tuesday, June 7, 2016

॥ अथ कथा भस्मासुर ॥


 

॥ अथ कथा भस्मासुर ॥

 
 सुनहु एक आजु कथा सुधी जन मनकेँ ध्यान लगाय  
कोना भेलथि देवाधि देव , एक  बेर बिकट  निरुपाय ॥
जा क कहल कथा पति लक्ष्मी , सौँ  विस्तार सुनाय ।
आब अहीं टा स सम्भव अछि गौरीपति हित न्याय ॥१॥