Monday, December 31, 2012

वो लड़की



वो लड़की
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तनहा लुटी
तनहा लड़ी
तनहा मरी
तनहा जली
क्या यही थी उसकी गलती
मित्र के साथ तनहा निकली।

Wednesday, December 26, 2012

सर्द सुबह और चाय की चुस्की

सर्द  सुबह  और  चाय  की चुस्की

सर्द  सुबह  और  चाय  की  चुस्की  दुबक  रजाई  में मित्रों।
साँझ  अलाव  जलाकर गप सप का  हैं सानी  कोई मित्रों ॥
दोपहर की धूप गुनगुनी  जब तन  को छू अलसाती मित्रों।
लगता जन्नत में भी ये सुख होगा हासिल कहाँ पे मित्रों ॥

Saturday, December 1, 2012

सब पा लेने के बाद क्या शेष हैं ।

सब पा लेने के बाद क्या शेष हैं ।

हम सब सूचनाओं द्वारा सभी ओर से घिरे हैं । भाँति भाँति की सूचनायें । कुछ उपयोगी कुछ अनुपयोगी । क्या , यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर । सूचनाओं से जानकारी क्रमशः जानकारी से बोध और बोध से ज्ञान कि प्राप्ति । जैसे ही व्यक्ति ज्ञान उपलब्ध करता है दुविधा की स्थिति उत्पन्न होनी स्वाभिक है । जितना अधिक ज्ञान उतनी अधिक द्विधा । ऐसे में सही मार्ग चुनना या किसी निर्णय पर पहुँचना आसान नही है ।

Monday, November 12, 2012

एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।



एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

अथाह जल की उर्जा से रौशनी निकाल कर ,
घरों ही नहीं दिलों को भी रौशन करते हैं हम ,
एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

Saturday, October 20, 2012

फिर भी !


           फिर भी !
  
परिवर्तन  संसार  का  नियम  हैं , और  जड़त्व  भी ,
नये निर्माण को टूटती है जड़ता , तो होता है कष्ट भी ।
कोई नही जानता टूटते वक्त , विनाश है  या सृजन भी ,
कष्ट से गुरजते हुए आगे , मिले कहीं , कोई खुशी भी ॥

Friday, September 21, 2012

गुजारिश



       गुजारिश

हमारी  आदतें  पहले   बिगाड़ते   क्यूं  हो ,
अपनी  जड़ों  से   हमें   उखाड़ते  क्यूं  हो ,
चढ़ा  कर  पेड़  पर  ऊचें  सनम  जी  क्यूं,
सीढ़ी  सब्सीडी  की  हटाते  भला  क्यूं  हो ?

गाड़ियां  सस्ती  हुई  जाती  है दिन पर दिन ,
तेलों  के  दाम  इतने  बढ़ाते  जाते  क्यूं हो ,
बनाओ  बड़े  मॉल  हमे न  शिकवा शिकायत ,
पर  ठेले  चाय  सब्जी के  यूँ हटाते क्यूं हो ?

Friday, September 14, 2012

हमारी राजभाषा हिन्दी भाग 2


हमारी राजभाषा हिन्दी
सम्विधान का अनुच्छेद 343(1) बड़े ही गरिमा से उद्घोष करता है , “ संघ की राजभाषा हिन्दी और उसकी लिपि देवनागरी होगी । संघ के प्रयोजनो के लिये प्रयोग होने वाले अंको का रूप भारतीय अंको का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा । “
आज इस घटना के करीब 62 साल बीत गये पर आज भी हमारी संघ की राजभाषा ‘हिन्दी’ ,  ‘अनुच्छेद 343(2)’ , ‘राजभाषा अधिनियम 1963 ,  यथा संशोधित 1967 , की धारा 3(3)’ के बनाये चक्रव्युह से अभी भी निकल नही पाई हैं । निकट भविष्य में भी इस घुटन से निकल पायेगी ऐसी सम्भावना दूर दूर तक दिखाई नही पड़ती हैं । हमारे नीति निर्धारकों ने हिन्दी को चक्रव्युह में घुसा तो दिया बड़ी आसानी से पर इस तिलस्म से निकलने का जो रास्ता बना रखा है वो 62 साल बाद भी सपने जैसा ही हैं ।

Tuesday, July 24, 2012

नासतो विद्यते भावो ......


नासतो विद्यते भावो ......

सच और झूठ को जानने का एक मात्र पैमाना है , परिस्थितिओं और अपने विवेक का मेल । सच और झूठ साथ - साथ ही चलते हैं । सच भले ही कभी कभी सच जैसा ना लगे पर अच्छा झूठ वही होता है जो बिलकुल सच लगे । झूठ की ताकत उसके सच लगने मे ही है । अच्छा झूठ सच के जैसा और महिमामण्डित होता है साथ ही साथ तार्किक भी । सच छोटा सरल और सुगम होता है और बहुत कम लोग उसे सच मान पाते हैं । सच जानते हुए भी साबित करना दुश्कर है किंतु झूठ यानी बनाया हुआ सच आसानी से साबित हो जाता है । ध्यान रख्खें कि हजारो के सामने भी कोइ एक सच्चा हो सकता हैं । अपने दिल पर हाथ रख्खें और सच का साथ दें ।

Saturday, June 16, 2012

हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग (छः )


बलाघात ( स्वराघात )
बोलने में प्रायः ऐसा देखा जाता है कि वाक्य के सभी अंशो पर बराबर बल या जोर नही दिया जाता । कभी वाक्य के एक शब्द पर जोर अधिक होता है तो कभी दूसरे पर । इसी प्रकार एक शब्द की ध्वनियों पर भी बराबर बल या आघात नही पड़ता । शब्द जब एक अक्षरों का होता है तो इन अक्षरों पर भी बल बराबर नही पड़ता , किसी पर कम किसी पर ज्यादा । इसी बल , जोर या आघात को ‘ बलाघात ‘ कहते हैं । भाषा की कोई भी ध्वनि पूर्णतः बलाघात शून्य नहीं होती ।

Sunday, May 13, 2012

आज संसद साठ की है हो गई !


आज    संसद      साठ    की  है  हो   गई ! 


आज     संसद       साठ     की   है   हो   गई ,
पर     बुजुर्गियत      अभी     आई     नही ।

बच्चों   कि   तरह   सब  झगड़ते  हैं  यहाँ ,
फैसला   क्यूँकर   हो   अब  सम्भव  यहाँ ।

जब हमीं को नाज ना  अपने वतन पे दोस्तों ,
किस मुँह से कहते हैं कि नेता सभी खराब हैं ।

Friday, May 11, 2012

अ-कल्पित

                     अ-कल्पित

... और मैने आते ही यह खबर सुनी ..... लक्ष्मी बाबू नही रहे !!!
सुन कर धक्का सा लगा .. उनका एक चित्र सा दिमाग मे बनने लगा ... श्वेत चमकता मुख मण्डल ... सौम्य हँसी ... विद्वान ... धोती कुर्ता मे वृद्ध होने पर भी एक आकर्षक और गरिमामय छवि ।
अभी चार महीने पहले ही तो छोड़ कर गया था , सब कुछ ठीक था । हलाकि मैने दिल्ली मे सुना था कि वे इलाज के लिये बम्बई गये हैं किंतु उस समय मेरे दिमाग मे बिलकुल नही आया कि पुनः मैं उन्हे देखने का सौभाग्य प्राप्त नही कर पाऊँगा और उनके स्नेहिल स्पर्श से वंचित हो जाऊँगा ।

Thursday, May 10, 2012

बाईक की सवारी


             बाईक की सवारी

दो  अनाड़ी  निकल पड़े  थे , करने  बाईक  सवारी ।
रोड  पहाड़  का ऊँचा  नीचा , बदन  के  दोनो भारी ॥

छुट्टी  का दिन  रविवार का , घर मे हो रहे बोर बड़े ।
ना सोचा  ना खुद को देखा , मंग्पु  घूमने निकल पड़े ॥

Wednesday, April 11, 2012

गलती से भी हुई गलती का परिणाम असली होता हैं !

 गलती से भी हुई गलती का परिणाम असली होता हैं !

मैं , मेरी  माँ  और मेरी छः वर्षिया बिटिया , ' सुम्मी ' अपने एक दोस्त के घर गये थे । उस दिन  उनके लड़के ' कृष्णा ' का जन्म दिन था । दिन भर धमाल मचती रही । शाम मे मैने देखा कि वो  बड़ी गुमशुम सी,  स्वभाव के विपरीत,  शांत बैठी हैं । लाख पुछा कि कुछ हुआ  हैं  क्या या कि किसी बच्चे से झगड़ा हुआ हैं पर उसने कुछ नही कहा उल्टा  सोने के लिये बोलने लगी । मैने भी सोचा कि सुबह से खेल रही है थक गयी  होगी पर मन इस बात को मानने को तैयार नही हो पा  रहा था ।

Friday, April 6, 2012

हनुमत् स्तुति

    हनुमत् स्तुति

हे  हनुमान बजरंग बली महावीर धीर ज्ञानी हो ।
संकट मोचक दृढ़व्रती रघुवीर भक्त शिरोमणि हो ॥
आञ्जनेय महाकाय महाबली पवन वेग धारी हो ।
पवन  पुत्र  रुद्रावतार   साकार  ब्रम्हचारी  हो ॥
रामायण  के  रत्न  केसरी  नन्दन वेद ब्रती हो ।
हे  परंतप  स्थितिप्रज्ञ  अति  वीर गदाधारी हो ॥
असुर निकन्दन रघुनन्दन  श्री राम अनुगामी हो ।
पुज्यनीय सिया राम सहित अप्रितम बलशाली हो ॥

       ........ अश्विनी कुमार तिवारी ( 06.04.2012 )