गलती से भी हुई गलती का परिणाम असली होता हैं !
मैं , मेरी माँ और मेरी छः वर्षिया बिटिया , ' सुम्मी ' अपने एक दोस्त के घर गये थे । उस दिन उनके लड़के ' कृष्णा ' का जन्म दिन था । दिन भर धमाल मचती रही । शाम मे मैने देखा कि वो बड़ी गुमशुम सी, स्वभाव के विपरीत, शांत बैठी हैं । लाख पुछा कि कुछ हुआ हैं क्या या कि किसी बच्चे से झगड़ा हुआ हैं पर उसने कुछ नही कहा उल्टा सोने के लिये बोलने लगी । मैने भी सोचा कि सुबह से खेल रही है थक गयी होगी पर मन इस बात को मानने को तैयार नही हो पा रहा था ।
मैने सोचा कि चलो थोड़ा टहला देँ शायद मन बहल जाये पर बिटिया यूँ ही अनमयस्क सी बनी रही । हार थक कर मैं बेटी को गोद मे लेकर बैठ गया । उसी समय मेरे दोस्त की नजर बेटी पर पड़ी । उन्होने कहा कि जो भी हुआ है उसे पापा के कान मे कह दो । बात का असर हुआ और उसके सब्र का बाँध टूट गया और रोना शुरु , उसने कहा कि प्राची ने उसे डाँटा और कहा कि तुम छोटी हो ज्यादे बकबक मत करो मैं तुंसे बड़ी हूँ ! रोता देख कर सब समझाने लगे । प्राची के पिता ने प्राची को बुला कर समझाया कि वो तुमसे छोटी है , साथ मे खेलो , झगड़ा मत करो ! थोड़ा रुक कर मैने सुम्मी से पुछा कि तुमने ऐसा क्या कहा कि प्राची ने तुम्हे डाँटा । उसने रोते रोते बताया कि मैने गलती से प्राची को छोटी बच्ची कह दिया इस पर उसने डाँटा ! मैने समझाया कि प्राची दीदी तो तुमसे बड़ी है तुम्हे ऐसा नही कहना चाहिये ! पर उसने जोर दे कर कहा कि मैने गलती से ऐसा कहा पर प्राची दीदी ने जानबूझ कर मुझे डाँटा और वो फिर रोने लगी । मैने उसे समझाया कि बेटी यदि गलती से भी दिवाल से टकरा जाओगी तो चोट तो असली ही लगेगी न ! इसलिये भले तुमने गलती से कहा पर डाँट तो तुम्हे असली ही पड़ी न ! बात आई गई हो गई वो सामान्य हो कर खेलने मे व्यस्त हो गयी ।
बाद मे मैने सोचा कि देखो कि बच्चो कि बातो मे भी कैसी बाँते निकल आती हैं । कितनी सही बात है कि गलती से भी हुई गलती का परिणाम हमेशा असली ही होता हैं । हम सब अक्सर अपनी हरकतो को गलती का नाम दे कर बचना चाहते है भले वो जानबूझ कर ही क्यूँ न की गयी हो । पर सृष्टि के नियम बड़े ही कठोर हैं यहाँ तो गलती से भी हुई गलती की माफी नही हैं फिर .... !!! फिर भी ईश्वर कि बड़ी कृपा है कि वो हमे संभलने के कई मौके देता हैं क्योंकि एक गलती 'गलती' दूसरी गलती 'वेवकूफी' और तीसरी गलती 'बदमाशी' । अब बदमाशी ! कोई भी कैसे बर्दाश्त कर सकता हैं .. शायद ईश्वर भी नही ... ! आगे जैसा हम और आप सोंचे !
---------- अश्विनी कुमार तिवारी ( 11.04.2012 )
उत्तम है...
ReplyDeleteसारगर्भित
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