वृक्षों का सन्देश
हम फेफड़े , हैं इस धरा के ।
हमसे हीं जीवन , हैं
इस धरा पे ॥
हमने दिया हैं इस
जग को खाना ,
हमसे चहकता हैं सारा जमाना ।
बसेरे दिये सभ्यताओं को हमने ,
बरसते हैं बादल
हमीं से धरा पे ॥
हम फेफड़े , हैं इस धरा के ।
हमसे हीं जीवन , हैं
इस धरा पे ॥
वेदों - ऋचाओं ने हमको गाया ,
देवों का आशीष पाने को पूजा ।
हमें वस्त्र समझा
धरा का है सबने ,
छाया किया हमने
तपती धरा पे ॥
हम फेफड़े , हैं इस धरा के ।
हमसे हीं जीवन , हैं
इस धरा पे ॥
हमने दिया है
हर अंग अपना ,
तब जा के तुमने
बसाई ये दुनिया ।
करता हूँ पूरे
जरूरत सभी के ,
हमसे हैं रौशन
अंधेरे जहाँ के
॥
हम फेफड़े , हैं इस धरा के ।
हमसे हीं जीवन , हैं
इस धरा पे ॥
तुम चाहे काटो तुम
चाहे छीलो ,
तुम चाहे हमको
पका कर के खालो ।
पर इतना कर लो
तुम अपनी खातिर ,
हमे तुम लगाते
रहो इस धरा पे ॥
हम फेफड़े , हैं इस धरा के ।
हमसे हीं जीवन , हैं
इस धरा पे ॥
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