Friday, June 12, 2015

प्रभु तुम अविनाशी

भजन :- प्रभु तुम अविनाशी
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प्रभु तुम अविनाशी , दिव्य प्रकाशी ,
बिघ्न विनाशक हर्ता ।
मैं मनुज विलासी , भूमि प्रवासी ,
अहंकार घट भर्ता ॥

बन्धुत्व बिसारी , संकट भारी ,
प्रभु बिनु बन्धु न मोरा ।
हैं राम तुम्हारी , सृष्टि ये सारी ,
तुम बिनु कौन सहारा ॥

जीवन ये तुम्हारा , हमहि बिसारा ,
सेवा धर्म हमारा ।
कैसी यह माया , जीवन सारा ,
रूचि बस केवल माया ॥
यौवन गति मोरा , परम पुनीता ,
अति वेगवति जल धारा ।
हरि कौन सहारा , अधम बिचारा ,
तारि देउ मोहि दाता ॥

----- अश्विनी कुमार तिवारी ( 12/06/2015 )

छन्द :- चौपावत ( मात्रिक छन्द ) ।
मात्रा :- 30 मात्रा ।
यति :- 10 , 8 , 12 वें मात्रा पर यति , अंत में सगण और एक गुरू ।

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