Monday, July 27, 2015

कजरी : फेर घुरि आयल कारी रे बदरिया



कजरी : फेर घुरि आयल कारी रे बदरिया

फेर घुरि आयल कारी रे बदरिया ,
बिजुरी चमकय अकास रे ।
जियरा मे उठय हिलोर बिदेशिया ,
तोरा बिना मनवा उदास रे ॥


फेर घुरि आयल कारी रे बदरिया ,
बिजुरी चमकय अकास रे ।

झुलुवा डारि झुले मोरे सब सखिया ,
रिमझिम पड़ै छै फुहार रे ।
सावोन के मास भेलै बदरा इ अखिया ,
टप टप तोड़ै छै कछार रे ॥

फेर घुरि आयल कारी रे बदरिया ,
बिजुरी चमकय अकास रे ।

दादुर मोर पपिहराक बोलिया ,
टनकय माथ कपार रे ।
बरखाक पानि जरय मोर देहिया ,
पिया बिना कोन उपाय रे ॥

फेर घुरि आयल कारी रे बदरिया ,
बिजुरी चमकय अकास रे ।

सुनु ‘अश्विनी’ पिया भेला कलकतिया ,
जानि कोन सौतियाक जाल रे ।
लिखि लिखि भेजै छी रोजे इ पतिया ,
घुरि आउ साओन हमार रे ॥

फेर घुरि आयल कारी रे बदरिया ,
बिजुरी चमकय अकास रे ।
जियरा मे उठय हिलोर बिदेशिया ,
तोरा बिना मनवा उदास रे ॥

------ अश्विनी कुमार तिवारी ( 22/07/2015 ) 

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