Friday, April 5, 2013

हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग ( सात )


सुरलहर अथवा अनुतान
अनुतान या सुरलहर सुरों के उतार – चढ़ाव या आरोह – अवरोह का क्रम हैं जो एकाधिक ध्वनियों की भाषिक इकाई के उच्चारण में सुनाई पड़ता है । सुर , तंत्रियों के कम्पन के कारण उत्पन्न एक ध्वनि गुण हैं , जो स्वर – तंत्रियों के प्रति सेकेण्ड कम्पनावृति पर निर्भर करता हैं ।  सुर किसी एक ध्वनि का होता हैं । किंतु जब हम एक से अधिक ध्वनियों की कोई इकाई ( शब्द , वाक्यांश , वाक्य ) का उच्चारण करते हैं तो हर ध्वनि का सुर प्रायः अलग – अलग होता है , इस प्रकार सुरों के उतार – चढ़ाव की लहर बनती हैं , जिसे सुरलहर या अनुतान कहते हैं ।

स्वर – तंत्रियों के प्रति सेकेण्ड कम्पन के अतिरिक्त अनुतान का सम्बन्ध बलाघात से भी हैं । ये मिल कर निम्न काम करते हैं :-
1.       वाक्यों के समूह को वाक्यों में , वाक्यों को उपवाक्य तथा पदबन्ध में और पदबन्ध को और छोटी – छोटी इकाइयों में तोड़ते हैं ।
2.       अभिव्यक्ति को उत्तर , सामान्य कथन , आज्ञा द्योतक , प्रश्न बोधक तथा अनिच्छा द्योतक आदि बनाते हैं ।
3.       अभिव्यक्ति के विभिन्न भावों या अंशों को अर्थ के धरातल पर आपस में सम्बन्ध करते हैं ।
जैसे –
राम गया ।  ( सामान्य कथन )
राम गया ?  ( प्रश्न )
राम गया ! ( आश्चर्य )
सुर के उतार – चढ़ाव के लिये 1, 2, 3 का प्रयोग कर इसे इस प्रकार दिखाया जा सकते हैं ।
1 – निम्न सुर , 2 – सामान्य सुर , 3 – उच्च सुर ।
मकान अच्छा है । ( सामान्य कथन ) 231
राम आ गया ? ( प्रश्न ) 233
राम आ गया क्या ? ( प्रश्न ) 232
राम आ गया ! ( आश्चर्य ) 123

7 comments:

  1. आपके द्वारा हिंदी भाषा के विषय में दी गई सभी जानकारी बहुत ही ज्ञानवर्धक है आपका हृदय से धन्यवाद

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  2. Anutan ka visesta ko batae sir please what's app no. 7667262228

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  3. वाक्य सुरलहर किसे कहते हैं कोई उदाहरण लिखें?​

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  4. Wow...
    Awesome thanks By Mr Alok Kumar

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  5. वाक्य सुरलहर किसे कहते है?

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