Sunday, June 9, 2013

समय समझाता हैं ...


      समय समझाता हैं ... 

कहते हैं समय हर घाव जो वह देता  भर देता हैं ।
पर भरते समय रिश्तों के मायने समझा जाता हैं ॥  
परदे उठते  मुखौटे  सरकते हैं  अस्ल चेहरों  से ।  
धूल आईने से  गर्द  कपड़ों से  झाड़  जाता  हैं ॥  
ये समय  भी  न जाने क्या – क्या सिखाता हैं ॥ 1 ॥

भोर किरण फूटने से पहले बन्द दरवाजे का इंतजार ।  
थके पाँव  उनीदी आँखों  की टकटकी  और इंतजार ॥   
समय  कितना बलवान कि इसकी लाठी बेआवाज हैं ।
कब किस रूप में किसे क्या – क्या समझा जाता हैं ॥
ये सब समझ पाना भी सिर्फ समय ही समझाता हैं ॥ 2 ॥  

.......... अश्विनी कुमार तिवारी ( 07/06/2013)

2 comments:

  1. बहुत सुंदर और प्रस्तुति

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  2. बहुत सुंदर और प्रस्तुति

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