समय समझाता हैं ...
कहते हैं समय हर घाव
जो वह देता भर देता हैं ।
पर भरते समय रिश्तों
के मायने समझा जाता हैं ॥
परदे उठते मुखौटे सरकते हैं अस्ल चेहरों से ।
धूल आईने से गर्द कपड़ों
से झाड़ जाता हैं
॥
ये समय भी न जाने
क्या – क्या सिखाता हैं ॥ 1 ॥
भोर किरण फूटने से
पहले बन्द दरवाजे का इंतजार ।
थके पाँव उनीदी आँखों की टकटकी और इंतजार ॥
समय कितना बलवान कि इसकी लाठी बेआवाज हैं ।
कब किस रूप में किसे
क्या – क्या समझा जाता हैं ॥
ये सब समझ पाना भी
सिर्फ समय ही समझाता हैं ॥ 2 ॥
.......... अश्विनी कुमार तिवारी ( 07/06/2013)
बहुत सुंदर और प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर और प्रस्तुति
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