वेदव्यास के अतिरिक्त गीता के चार श्रोता थे और दो वक्ता | श्रोता थे अर्जुन , संजय , ध्रितराष्ट्र , और बरबरी एवं वक्ता थे कृष्ण और संजय | बरबरी भीम के पुत्र घटोत्कच का पुत्र था जो यहाँ उतना प्रासंगिक नही हैं | गीता के बारे में सभी ऐसा सोचते हैं की कृष्ण ने गीता अर्जुन को युध्द के लिए प्रेरित करने के लिया कही थी पर वास्तव में यह युध्द रोकने का कृष्ण का अंतिम प्रयास था | यहीं ध्रितराष्ट्र और संजय प्रासंगिक हो जाते हैं |
".. हमारे दिल से आपके दिल तक ,/ बात निकली है तो जायेगी दूर तक ,/ ये 'किरण'जो चली है यहाँ से वहाँ तक ,/ रौशनी कर देगी वहाँ , पहुँचेगी जहाँ तक । " ----------- अश्विनी कुमार तिवारी
Wednesday, December 21, 2011
Thursday, December 15, 2011
हिन्दी व्याकरण : वर्ण विचार , भाग (तीन )
स्वरों का वर्गीकरण
उत्पत्ति के अनुसार स्वरों के दो भेद हैं :-
1) मूल स्वर – जो स्वर दूसरे स्वरों के मेल से ना बने हों , उन्हें मूल स्वर कहते हैं । ये चार हैं –अ, इ, उ, ऋ ।
2) सन्धि-स्वर – जिन स्वरों की उत्पत्ति दूसरे स्वरों के योग से हुई है , वे सन्धि-स्वर कहलाते हैं । हिन्दी वर्णमाला मे इसकी संख्या सात है – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ ।
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