Tuesday, January 1, 2019

एक पन्ना और जैसे जिन्दगी का



एक पन्ना और जैसे जिन्दगी का

लो एक पन्ना और जैसे जिन्दगी का ,
पलट गया , मगर न जाने क्या हुआ ।
रोज जैसी ही लगे है , आज भी तो ,
तारीख ही बदली है , और क्या हुआ ॥