Tuesday, January 1, 2019

एक पन्ना और जैसे जिन्दगी का



एक पन्ना और जैसे जिन्दगी का

लो एक पन्ना और जैसे जिन्दगी का ,
पलट गया , मगर न जाने क्या हुआ ।
रोज जैसी ही लगे है , आज भी तो ,
तारीख ही बदली है , और क्या हुआ ॥

 तारीख ही न बदली , बदला साल भी ,
पर सच कहो बदला क्या अपना हाल भी ।
सब जहाँ , जैसे था , वैसे आज भी ,
जो आश संजोयी थी पहले आज भी ॥

कुछ हौसले , संघर्ष , थोड़े ख्वाब भी ,
सच है कि , थोड़े रीते , गुजरे साल भी ।
कुछ खो दिया कुछ पा लिया संजोया भी ,
सृष्टि का कुछ जिन्दगी का थोड़ा बदला हाल भी ॥

फिर से नए संकल्प सपनों की लिए ,
एक गठरी जो पड़ी ढीली थोड़ी कस लिए ।
परिवर्तन जगत का मूल आशय है यहाँ ,
अध्याय जीवन का नया रचने को फिर से सज लिए ॥

शुभकामना थोड़ी सी आशीष थोड़ा सा सही ,
एक पच्चर जिन्दगी की खाट बैठे तो सही ।
जो रास्ता है सामने , है जरा समतल नही ,
एक शॉकर गाड़ी के पहिए को लग जाए सही ॥

----- अश्विनी कुमार तिवारी ( 01/01/2019 )

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