Wednesday, January 1, 2020

महज तारीख नही


     महज तारीख नही

महज  तारीख नही  एक  जनवरी  हो तुम ।
जाने कितने दिलों की स्वप्न मंजरी हो तुम ॥

एक  आश  है  कि आज  कुछ बदल जाए ,
गम विगत  के सारे  खुशबुओं में ढल जाए ।
कोई बिछड़ा  जो गले आज आके लग जाए ,
उस एक आनंद के सिहकन की झुरझुरी हो तुम ॥
महज  तारीख  नही  एक जनवरी  हो तुम ।
जाने कितने दिलों की स्वप्न मंजरी हो तुम ॥

फैसले  कितने है जो आज की  खातिर टाले ,
कितने सपनों  की नींव  के नए पत्थर डाले ।
जैसे नवावधु कोई अपना  नया पग घर डाले ,
भले  संकोच  भय आनंद की  लड़ी हो तुम ॥
महज  तारीख नही  एक  जनवरी  हो तुम ।
जाने कितने दिलों की स्वप्न मंजरी हो तुम ॥


------ अश्विनी कुमार तिवारी ( 01 / 01 / 2020 )


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