Monday, November 12, 2012

एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।



एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

अथाह जल की उर्जा से रौशनी निकाल कर ,
घरों ही नहीं दिलों को भी रौशन करते हैं हम ,
एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

दुर्गम पहाड़ उफनती नदी घने जंगलों पर ,
सभ्यता से पहले अपने कदम रखते हैं हम ,
एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

अपनों से दूर समाज से कटे देश की सेवा मगर ,
खाण्डवप्रस्थ को इंद्रप्रस्थ बनाते हैं हम ,
एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

प्रकृति की गोद में प्यार से पर्यावरण को छेड़ते हैं पर ,
स्वच्छ उर्जा का सपना भी लिये चलते हैं हम ,
एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

हर समय एक नयी चुनौती नयी राहे नया सफर ,
कभी लकीर के फकीर नही कहलाते हैं हम ,
एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

आज की चमकती दुनिया में हमें पहचानता नही कोई ,
पर तरक्की की नीव के पत्थरों से हम ,
एनएचपीसीयन कहलाते हैं हम ।

‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌--------------------- अश्विनी कुमार तिवारी ( 07 नवम्बर 2012 को एनएचपीसी लिमिटेड के स्थापना दिवस के अवसर पर एनएचपीसी के कर्मचारीयों को समर्पित ये कविता मैंने लिखी और मंच पर सुनाई )

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