Sunday, May 13, 2012

आज संसद साठ की है हो गई !


आज    संसद      साठ    की  है  हो   गई ! 


आज     संसद       साठ     की   है   हो   गई ,
पर     बुजुर्गियत      अभी     आई     नही ।

बच्चों   कि   तरह   सब  झगड़ते  हैं  यहाँ ,
फैसला   क्यूँकर   हो   अब  सम्भव  यहाँ ।

जब हमीं को नाज ना  अपने वतन पे दोस्तों ,
किस मुँह से कहते हैं कि नेता सभी खराब हैं ।

चुनने कि आजादी का  देखो हस्र क्या है हो रहा ,
चावल सभी अच्छे , गोदामों मे पड़ा ही सड़ रहा ।

सब   जानते    है   घर    बहुत  गन्दा  पड़ा  हैं ,
पर  सफाई  मे  भला  कोई  हाथ गन्दे क्यूँ करे ।

हर शक्स यहाँ ये चाहता है , 'कोई' निकल कर कुछ करे ,
पर वो 'कोई' हम नहीं , आगे बढ़े जो , और जो चाहे करें ।

जब  संगठन ही शक्ति  हैं और  जनता ही जनार्दन ,
फिर भला भगवान क्योँ हो अवतरित इस जमीं पर ।

आज  संसद  साठ  की  हो  उद्वेलित  कर  गई हैं ,
कवि  हृदय  में  एक  लहर ज्वार सी उठ रही हैं ।

जनतंत्र के मन्दिर  में  पुजारी ढंग के रक्खो जरा ,
ताकि  जन  की  भावना  अब राष्ट्र की रचना करें ।

मत  हटें  कर्तव्य  से  जो  कुछ  हमारे  हेतु  हैं ,
तब ही  सही  होंगे सड़क  से संसद के जो सेतु हैं ।

------- अश्विनी कुमार तिवारी ( 13.05.2012 , संसद के साठ बर्ष पूरे होने पर )

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