नए वर्ष का आना जाना
नए वर्ष का
आना जाना , कितने हीं जज्बात लिखे ।
अरमानों के दीप जलाकर
, सपनो की सौगात बुने
॥
जब आया था वही ललक
थी , वही पुलकती थी काया ।
अंतरतम के दीप
वही थे , वही स्वप्न सजती माया ॥
सुख दु:ख के ताने
बाने सा , करघे का घर-घर नाद सुने ।
समय चक्र की बलिवेदी
पर , अर्पित अतीत का राग गुने ॥
नए वर्ष का
आना जाना , कितने हीं जज्बात लिखे ।
अरमानों के दीप जलाकर
, सपनो की सौगात बुने
॥
पुन: एक पृष्ठ पलटा
है , पुन: जगा एक स्वप्न नया ।
पुनः भविष्य की आशा के , पुन: सजा संसार
नया ॥
साँसों के आने जाने
का , अविरल स्वर संग्राम
सुने ।
बहती धारा के कल-कल
का , मधुर भविष्यत गान गढ़ें ॥
नए वर्ष का
आना जाना , कितने हीं जज्बात लिखे ।
अरमानों के दीप जलाकर
, सपनो की सौगात बुने
॥
माना नही समेटी जाती , सारे सपनो की मोटरी - गठरी ।
माना समय शरों
से घायल , बिंद्ध मन आकुल हिरणी ॥
किंतु आश को थामें
जबतक , एक ज्योति भी किरण दिखे ।
नही बैठना थक कर हमको , मझधारों में पतवार लिए ॥
नए वर्ष का
आना जाना , कितने हीं जज्बात लिखे ।
अरमानों के दीप जलाकर
, सपनो की सौगात बुने
॥
---- अश्विनी कुमार
तिवारी ( 01/01/2017 )
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