यादोँ का कारवाँ
हम याद आयेँ ना आयेँ , आप याद आयेँगे ,
साथ गुजारे गए मधुर स्मृतियों के सुहाने पल ,
सपनों और विचारों की लड़ी के दरमियाँ ,
चुपके से दाखिल हो साथ - साथ हो जायेंगे ।
आपने चुन रखा है आस्मां उड़ने के लिये ,
वक्त की रेत पर हर्फ़ लिखने के लिये ,
हमने भी देख रखा है सपनों का एक कारवाँ ,
दौड़ पड़े है हम भी शामिल होने के लिए ।
वक्त का तक़ाजा है , दस्तूर है सुने ,
मिल के बिछड़ने का किस्सा है सुने ,
ये जो दूरी है जरुरी है , पुनः मिलन के दरमियाँ ,
मिलन की ताजगी बरकरार रखने के लिए ।
विश्वास का रखियेगा ख्याल हम कहीँ भी रहे ,
पुनः मिल सके न सके , दिल ज़रूर मिले ,
जिन्दगी है घुमावदार , किसी अंजाने मोड़ पर ....
इक दुसरे को पहचानते हुए , मिल जायेँगे ।
........................ अश्विनी कुमार तिवारी
बहुत खुब कहा है आपने
ReplyDeleteबहुत बहुत स्वागत है निलाद्रि जी ! धन्यबाद ... !
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