Wednesday, January 27, 2016

कह_मुकरी

कह_मुकरी
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(१)
ओकरा बिनु नै रहल जाय ।
भेँटय नहि तों माथ दुखाय ॥
अनुपम ताप देखि मुख आह ।
की सखि साजन ? नइ सखि चाह !!

(२)
हुनका आबिते मुँह उजिआय ।
जाइते सगर भवन अन्हराय ॥
हुनका बिनु सब उझरी पुझरी ।
की सखि साजन ? नइ सखि बिजुरी !!
(३)
बढ़िते जाड़ याद बहु आय ।
बिनु ओकरा की रहल जाय ॥
होइ दूर नञि तनिक सुहाई
की सखि साजन ? नाहि रजाई !!
(४)
ओकरा बिनु नहि छन कल पड़इ ।
दोसर हाथ दरसि हिय धड़कइ ॥
संगे रही सदति भरमाइल ।
की सखि साजन ? नहि मोबाइल !!
(५)
भाँति भाँति छवि रंग देखाय ।
हरखय नैन कौखन भरिजाय ।
बिसरि काज धाज सह जीबी ।
की सखि साजन ? नै सखि टीवी !!
(६)
भेँटय नहि तोँ मोन औनाय ।
लागय जेना परम असहाय ॥
दिन दुनियाक खबरि नै भेँट ।
की सखि साजन ? नहि सखी नेट !!

------ अश्विनी कुमार तिवारी ( 27/01/2016 )

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