बंदित हेशिव-आदिसुते
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सकल फलाफल
सिद्धविनायक बुद्धि सहायक गौरिसुते ।
गणगणनायक
ऋद्धिविधायक विघ्नविनासक सिद्धिपते ॥
हर हर शम्भु शि-वाय
सनातन शिष्यनुवर्तन मानतुते ।
जयजय हे गण-नाथ
गुणाश्रय बंदित हेशिव-आदिसुते ॥1॥
मुदितमनोहर मोदक
मुग्धक व्याधि भयापद नाशकृते ।
अचर चराचर बुद्धि
विशारद बन्दित अग्रसु अम्बसुते ॥
हरिमुख शोभित
मुष्टिकआसन तुन्दिलआयसु दर्शनुते ।
जयजय हे गण-नाथ
गुणाश्रय बंदित हेशिव-आदिसुते ॥2॥
परसुप्रहार वि-खण्डितदंतक
भार्गव क्रोध नि-पातितते ।
निरखिमहादेव उद्धत युद्धव
शिर्षहि भूमि नि-पातितते ॥
भवनहु मातु स-रोष
भयाप्रद मस्तक हस्तिन प्राप्तनुते ।
जयजय हे गण-नाथ
गुणाश्रय बंदित हेशिव-आदिसुते ॥3॥
अगमअगोचर विश्व
विमोचक विद्वत सृष्टि प्र-काशयते ।
गजशुभआनन भालशशांकसु
ज्योतिप्रकाशित शांतनुते ॥
दरस दयामय
दिव्यसदाशिव अम्बसहज्य ग-णाधिपते ।
जयजय हे गण-नाथ
गुणाश्रय बंदित हेशिव-आदिसुते ॥4॥
छन्द : वार्णिक
छन्द
बर्ण : 23 वर्ण (
7,6,6,4 )
नगण जगण जगण जगण जगण
जगण जगण लघु गुरु
III ISI I,
SI ISI
I, SI ISI I, SI
IS
-------- अश्विनी
कुमार तिवारी ( 04/02/2015 )
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