--------- राष्ट्र की भाषा ----------
बहुत तकलीफ में है ,
हमारे राष्ट्र की भाषा ।
नही कमजोर है फिर भी ,
सहारा चाहिये ऐसा ।
निकाले फाँस जो दिल के ,
दबाये बैठी जो भाषा ॥
दिवस इक वर्ष में देते है ,
बधती हैं तब इक आशा ।
सितम्बर माह मे जब ,
उसे मिलती है दिलासा ॥
बड़े वादोँ को सुन सुन कर ,
प्रसन्न होती बड़ी भाषा ।
अंग्रेजी भाषणों को सुन ,
उसे होती है निराशा ॥
हम उसको याद करते है ,
तो जगता है ये भरोसा ।
प्रगति पथ जाएगी एक दिन ,
हमारे राष्ट्र की भाषा ॥
बहुत तकलीफ में है ,
हमारे राष्ट्र की भाषा ।
........... अश्विनी कुमार तिवारी
बहुत तकलीफ में है ,
हमारे राष्ट्र की भाषा ।
नही कमजोर है फिर भी ,
सहारा चाहिये ऐसा ।
निकाले फाँस जो दिल के ,
दबाये बैठी जो भाषा ॥
दिवस इक वर्ष में देते है ,
बधती हैं तब इक आशा ।
सितम्बर माह मे जब ,
उसे मिलती है दिलासा ॥
बड़े वादोँ को सुन सुन कर ,
प्रसन्न होती बड़ी भाषा ।
अंग्रेजी भाषणों को सुन ,
उसे होती है निराशा ॥
हम उसको याद करते है ,
तो जगता है ये भरोसा ।
प्रगति पथ जाएगी एक दिन ,
हमारे राष्ट्र की भाषा ॥
बहुत तकलीफ में है ,
हमारे राष्ट्र की भाषा ।
........... अश्विनी कुमार तिवारी
bahut acchi hai...:-):-)
ReplyDeleteहमेशा की तरह उम्दा हो रहा है.
ReplyDeleteपरन्तु मैं सहमत नहीं हूँ... जबतक हम और आप जैसे लोग हैं तब तक मात्री भाषा हंसती रहेगी.
जय हिंद में भी हिंदी छिपी है|
जैसा लोगों का खुद से एवं भगवान् से भरोसा उठ गया है.. भगवान् क्या दुखी हो जायेंगे? मुझे नहीं लगता| वैसे ही अगर एक भी व्यक्ति नहीं बचता फिर भी भाषा एवं शब्द हमेशा रहेंगे ...
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